प्रदूषण सी बचण की खातिर ग्रीन दिवाली मनौण की जरूरत
देहरादून, वीरेंद्र दत्त गैरोला/गढ़ संवेदना । दिवाली मां बड़ी मात्रा मा पटाखा जलौण सी प्रदूषण बढ़ी जांदू, जै वजह सी कई दिनों तक दिक्कतों को सामणू करण पड़दू। हम सबू तैं ग्रीन दिवाली मनाई चैंद। पटाखा जलौण का दौरान जहरीला रसायन निकलदन, जै सी कि सांस लेणू मुश्किल ह्वै जांदू। आतिशबाजी सी वायुमंडल मां बड़ी मात्रा मां कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होंदी, ये कू हानिकारक प्रभाव त्योहार का कई दिनों बाद तक बणियू रंद। जब पटाखा जलाए जांदन त धातु का लवण अर विस्फोटक एक रासायनिक प्रक्रिया सी गुजरदन जू धुआं का रूप मां वातावरण मां कई जहरीला रसायन छोड़दन। यों मां कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड अर नाइट्रोजन ऑक्साइड शामिल छ। पटाखा जलौण का दौरान निकलण वाली जहरीली गैस अर प्रदूषक हवा, पाणी अर मिट्टी तैं दूषित करदन जू कि पक्षियों, वन्यजीवों, पालतू जानवरों अर मनुष्यों की खातिर हानिकारक होंदन। यी कई व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य तैं गंभीर रूप से प्रभावित करदन अर हार्माेनल असंतुलन कू कारण बणदन। पटाखा जलौण सी वातावरण मां धुंध मां वृद्धि ह्वै जांदी। पटाखों मां मौजूद जहरीला तत्व दहन का दौरान हवा मां पार्टिकुलेट मैटर कू स्तर तैं भी बढ़ौंदन। यी बारीक कण गला अर फेफड़ों मां प्रवेश करदन जैसी कि स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़दू। प्रदूषण कू उच्च स्तर बच्चों, गर्भवती महिलाओं अर बुजुर्गों तैं बुरी तरह सी प्रभावित करदू। हमू तैं ग्रीन दिवाली मनौण चैंदी। दिवाली पर दीया की विशेष मान्यता होंदी, दीयों सी घर सजौण सी बेहतरीन लुक मिलदू, दीया जलै तैं त्योहार मनौण सी आप जमीन से जुड़ियू़ महसूस करला। पुराणा जमाना मां लोग दीया जलै तैं ही दिवाली सेलिब्रेट करदा छा।
पटाखों कू इस्तेमाल नी करियू चैंद। अर यदि पटाखों कू इस्तेमाल कन ही छ त ग्रीन पटाखों कू इस्तेमाल करी सकदन। ग्रीन पटाखा पर्यावरण का अनुकूल होंदन अर वायु प्रदूषण तैं कम करदन। ग्रीन पटाखों तैं वैज्ञानिक अर औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित करिये गै। ग्रीन पटाखों मां फूलदान, पेंसिल, फुलझड़ियाँ, मरून शामिल छन। यों तैं राष्ट्रीय पर्यावरण एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान की प्रयोगशाला द्वारा विकसित करे गै। ग्रीन पटाखों मां बेरियम नाइट्रेट नी होंद, जू कि पारंपरिक पटाखों मां सबसे ख़तरनाक तत्व छ। ग्रीन पटाखों मां मैग्नीशियम अर बेरियम की जगह पोटेशियम नाइट्रेट अर एल्युमीनियम जना वैकल्पिक रसायनों कू इस्तेमाल करें जांदू, साथ ही आर्सेनिक अर दूसरा हानिकारक प्रदूषकों की जगह कार्बन कू इस्तेमाल करें जांद। ग्रीन पटाखों की ध्वनि सीमित होंदी। पिछला कुछ वर्षों मां आतिशबाजी का कारण कई दुर्घटनाएं ह्वैन, जौं मां कि बच्चों अर वयस्कों की मौत ह्वै। ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल सी दुर्घटनाओं मां भी कमी लाए जै सकदी। हरित पटाखा पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नी छन, लेकिन नियमित पटाखों की तुलना मां अपेक्षाकृत स्वच्छ अर सुरक्षित छन।