टिहरी जिले में द्वारी गांव में घंटाकर्ण देवता की जात का भव्य व दिव्य आयोजन
घनसाली। ‘रैत-मैत कू लोभी छौं मैं, अन्न-धन्न को लोभी नि छौं, औतों को पुत्र द्योलू, क्वारों वर द्योलू संकट काटलो, विपदा बांटलो, अपणी रैत-मैत तैं जस देई जौलू’।उत्तराखंड के टिहरी जिले में घनसाली तहसील क्षेत्र अंतर्गत द्वारी गांव में घंडियाल (घंटाकर्ण) देवता की लोक जात का भव्य आयोजन किया गया। घंटाकर्ण देवता की लोक जात में प्रवासी और आस-पास के क्षेत्रों के लोग बड़ी तादात में शामिल हुए। लोगों ने घंटाकर्ण देवता व नागरजा देवता के दर्शन किए और मनौती मांगी। देवता ने सभी लोगों को आशीर्वाद प्रदान किया। जिन लोगों की पिछली लोकजात में मांगी गई मनौती पूर्ण हुई उन्होंने घंटाकर्ण देवता को साड़े, चांदी के छत्र व घंटियां भेंट की। रात्रि को मोलखा में जागरण व मेले का आयोजन हुआ।
घंटाकर्ण देवता की इस द्विवार्षिक लोकजात में मुंबई, दिल्ली, गुजरात, चंडीगढ़, देहरादून, उत्तरकाशी, श्रीनगर आदि क्षेत्रों में रहने वाले प्रवासी बड़ी संख्या में गांव पहुंचे और लोक जात में शामिल होकर अपने इष्ट और ग्राम देवता के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी श्रद्धालू सच्चे मन से कोई मन्नत मांगता है वह मन्नत अवश्य पूरी होती है। विदेशों में रहने वाली प्रवासी भी लोकजात में शामिल होने को गांव पहुंचे। घंटाकर्ण देवता की लोकजात में द्वारी, चुखड़ी, बुड़कोट, थापला, पिलखी, घनसाली, बौंसला, बंचुरी, डागर, घोंटी, दोणी, पडागली, चमियाला समेत कोटी फैगुल और नैलचामी पट्टी के विभिन्न गांवों के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। सुबह गांव में निशान स्थल पर घंटाकर्ण देवता व नागरजा देवता के निशाणों की पूजा-अर्चना हुई। सायं को घंटाकर्ण देवता और नागरजा देवता के पश्वा ग्रामवासियों के साथ देवता के निशाणों को लेकर मोलखा जो कि गांव में सबसे ऊंचाई पर स्थित स्थल है वहां पहुंचे। वहीं, नैलचामी से गुरु माणिक देवता भक्तों के साथ वहां पहुंचे। दोनों देवताओं का मिलन हुआ, तो जयकारे गूंजने लगे।। रात्रि जागरण के दौरान मोलखा में मंडाण का आयोजन किया गया। जिसमें रात्रिभर श्रद्धालू ढोल-दमाऊ की थाप पर जमकर थिरके। घंटाकरण मंदिर समिति द्वारी की ओर से श्रद्धालुओं के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई थीं। नमस्कार देव भूमि सेवा संघ दिल्ली की ओर से श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया।