नाफरमान कुलसचिव के खिलाफ फीस वृद्धि मामले में कार्रवाई करने से क्यों घबराई सरकारः मोर्चा

-शासन ने कई पत्र लिखे कुलसचिव आयुर्वेद विश्वविद्यालय को, लेकिन एक साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कहा कि सरकार द्वारा अक्टूबर 2015 के द्वारा निजी आयुष महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की फीस वृद्धि की थी, जिसके तहत फीस को 80 हजार से बढ़ाकर 2.15 लाख तथा 73,600 से बढ़ाकर 1.10 लाख कर दिया था, जिसको उच्च न्यायालय द्वारा जुलाई 2018 को अपास्त कर दिया गया था तथा मा.उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा अक्टूबर 2018 में सरकार द्वारा योजित विशेष अपील में पूर्ववर्ती आदेश को बरकरार रखा। नेगी ने कहा कि मा. उच्च न्यायालय के निर्देश का अनुपालन कराए जाने को लेकर शासन द्वारा 22/03/19, 23/04/19, 22/11ध/19, 20/12/19, 16/01/20 तथा 30/01/20 के द्वारा कुलसचिव, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को पत्र प्रेषित कर अनुपालन सुनिश्चित कराए जाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन एक वर्ष से अधिक समय बीतने के उपरांत भी कुलसचिव द्वारा शासन के पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई ययहां तक की शासन को कोई आख्या तक उपलब्ध नहीं कराएगी गई। पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उक्त नाफरमान कुलसचिव की वजह से अध्ययनरत गरीब छात्रों को बहुत बड़े संकट से गुजरना पड़ा। नेगी ने हैरानी जताई कि एक वर्ष तक शासन के पत्रों का जवाब एवं कार्रवाई न करने के मामले में सरकार खामोश बैठी रही यानी उक्त नाफरमान कुलसचिव के खिलाफ सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। नेगी ने कहा कि जब प्रदेश में मा. न्यायालयध् शासन के आदेशों पर ही कार्यवाही नहीं हो पा रही है तो सरकार का क्या औचित्य रह जाता है। पत्रकार वार्ता में ओ.पी. राणा व अमित जैन भी उपस्थित रहे।

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