‘मेरा थैला मेरी शान’ का संकल्प, प्रकृति का दोहन नहीं बल्कि संवर्द्धन होः स्वामी चिदानन्द सरस्वती



ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में जिओ टीवी प्रतिनिधि बालाजी अय्यर और विशाल तथा थैला आन्दोलन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे स्वामी सहजानन्द जी दर्शनार्थ आये। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंट वार्ता कर दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने थैला आन्दोलन को विस्तार देने हेतु विस्तृत चर्चा करते हुये कहा कि लोग आजकल अपनी फटी पैंट को फैशन समझते हैं परन्तु अब समय आ गया है कि पर्यावरण संरक्षण के लिये थैला हाथ में पकड़ने को फैशन बनायें। जिस दिन लोग ‘मेरा थैला मेरी शान’ समझने लगेंगे उस दिन प्लास्टिक के उपयोग में निश्चित रूप से कमी आयेगी। साथ ही पुराने कपड़ों का उपयोग होगा और महिलाओं को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि ‘ईको फें्रडली कल्चर’ को अपनाकर ही हम अपनी भावी पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य दे सकते हंै।जिओ टीवी के प्रतिनिधि श्री बालाजी अय्यर और श्री विशाल जी के साथ चर्चा करते हुये स्वामी जी ने कहा कि जिओ नेटवर्क के माध्यम से लोगों ने पूरी दुनिया तक अपनी पहंुच बनायी है। जिओ का सही उपयोग किया जाये तो जीवन में विलक्षण परिवर्तन हो सकता है। स्वामी जी ने कहा कि प्रकृति के साथ सौहार्द्र और शुद्धता का सम्बंध स्थापित करने के लिये ईको फ्रेंडली कल्चर को आत्मसात करना होगा तथा पर्यावरण को समावेशी और सतत बनाने हेतु आगे आकर सम्पूर्ण मानवता का कल्याण हो वह मार्ग अपनाना होगा। स्वामी जी ने कहा कि धरती को प्रदूषण मुक्त रखने के अलावा हमारे पास कोई भी वैकल्पिक योजना नहीं है अतः ऐसी तकनीक को अपनाना होगा जो कि सतत और हरित विकास लक्ष्य को हासिल करने में मदद करें। अब प्रकृति के दोहन की नहीं बल्कि संवर्द्धन की संस्कृति को अपनाना होगा। स्वामी जी ने स्वामी सहजानन्द जी, श्री सिद्धार्थ शर्मा जी एवं सभी अतिथियों को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा देकर सम्मानित किया। परमार्थ गंगा आरती में उपस्थित श्रद्धालुओं को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने ‘‘मेरा थैला मेरी शान’’ संकल्प कराया।

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